Friday, 3 December 2010

राडार तरंगों से सर्वेक्षण एवं उत्खनन श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन

राडार तरंगों से सर्वेक्षण एवं उत्खनन श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
उत्खनन रिपोर्ट के कारण मुस्लिम समाज और कुछ इतिहासकारों, पुरातत्ववेत्ताओं एवं राजनेताओं में मची खलबली से सारा देश परिचित है। मुस्लिम पक्ष ने उत्खनन रिपोर्ट को रद्द कर दिए जाने की मांग अदालत से की। दोनों पक्षों की ओर से तर्क प्रस्तुत किए गए। अन्तत: उत्खनन रिपोर्ट न्यायालय के रिकार्ड पर रखे जाने का आदेश तो हो गया परन्तु यह भी आदेश हुआ कि सभी पक्ष विशेषज्ञ-पुरातत्ववेत्ताओं को अदालत में लाकर उनके मौखिक बयान के द्वारा उत्खनन रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे।


वाद के मुख्य प्रश्न 'कि क्या 1528 ईस्‍वी के पूर्व विवादित स्थल पर कोई हिन्दू मन्दिर खड़ा था?' का उत्तर खोजने के लिए उच्च न्यायालय ने स्वयं प्रेरणा से श्रीराम जन्मभूमि के परिसर में राडार तरंगों से फोटो सर्वेक्षण कराया। सर्वेक्षण रिपोर्ट फरवरी, 2003 में अदालत को प्राप्त हुई। कनाडा के नागरिक विशेषज्ञ ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष में लिखा कि-
'In conclusion, the GPR survey reflects in general a variety of anomalies ranging from 0.5 to 5.5 meters in depth that could be associated with ancient and contemporanous structures such as pillars, foundations walls, slab flooring extending over a large portion of the site. However, the exact nature of those anomalies has to be confirmed by systematic ground truthing, such as provided by archeological tranching.'
इसी आधार पर पुरातत्व विभाग को सम्बंधित बिन्दुओं पर वैज्ञानिक तरीके से उत्खनन करके राडार तरंगों की सर्वेक्षण रिपोर्ट की सत्यता को जांचने का आदेश 5 मार्च 2003 को उच्च न्यायालय ने दिया। पांच मास तक चले उत्खनन कार्य की रिपोर्ट 22 अगस्त 2003 को पुरातत्व विभाग ने उच्च न्यायालय को सौंप दी। उत्खनन रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि-
The Hon'ble High Court, in order to get sufficient archaeological evidence on the issue involved "whether there was any temple/structure which was demolished and mosque was constructed on the disputed site" as stated on page 1 and further on p. 5 of their order dated 5 march 2003, had given directions to the Archaeological Survey of India to excavate at the disputed site where the GPR Survey has suggested evidence of anomalies which could be structure, pillars, foundation walls, slab flooring etc, which could be confirmed by excavation. Now, viewing in totality and taking into account the archaeological evidence of a massive structure just below the disputed structure and evidence of continuity in structural phasses from the tenth century onwards upto the construction of the disputed structure alongwith the yield of stone and decorated bricks as well as mutilated sculpture of divine couple and carved architectural members including foliage patterns, amalaka, kapotapali doorjamb with semi-circular pilaster, broken octagonal shaft of black schist pillar, lotus motif, circular shrine having pranala (waterchute) in the north, fifty pillar based in association of the huge structure, are indicative of remains which are distinctive features found associated with the temples of north India.
उत्खनन रिपोर्ट के कारण मुस्लिम समाज और कुछ इतिहासकारों, पुरातत्ववेत्ताओं एवं राजनेताओं में मची खलबली से सारा देश परिचित है। मुस्लिम पक्ष ने उत्खनन रिपोर्ट को रद्द कर दिए जाने की मांग अदालत से की। दोनों पक्षों की ओर से तर्क प्रस्तुत किए गए। अन्तत: उत्खनन रिपोर्ट न्यायालय के रिकार्ड पर रखे जाने का आदेश तो हो गया परन्तु यह भी आदेश हुआ कि सभी पक्ष विशेषज्ञ-पुरातत्ववेत्ताओं को अदालत में लाकर उनके मौखिक बयान के द्वारा उत्खनन रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे।

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