Saturday, 4 December 2010

अधिग्रहीत क्षेत्र का समतलीकरण श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन



अधिग्रहीत क्षेत्र का समतलीकरण श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
पुरातत्ववेत्ताओं ने 2 और 3 जुलाई 1992 को स्थान का निरीक्षण किया और वे इस निश्चय पर पहुंचे कि सभी अवशेष 12वीं शताब्दी में उत्तर भारत में प्रचलित शैली के मंदिर के हैं। प्राप्त पुरावशेषों में मुख्यत: शिखर आमलक, जाल अलंकरण, शीर्ष, छज्जा, जगती का तला थर, द्वारशाखा, शिव-पार्वती हैं।


अयोध्‍या
में अधिग्रहीत 2.77 एकड़ भूखण्ड का समतलीकरण अप्रैल 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने प्रारम्भ करा दिया। साथ-साथ ही जन्मभूमि को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 (लखनऊ-फैजाबाद-अयोध्या-गोरखपुर राजमार्ग) से जोड़ने के लिए 80 फीट चौड़ी सड़क के निर्माण का काम भी लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रारम्भ कर दिया गया। समतलीकरण के दौरान 18 जून 1992 को ढांचे के दक्षिणी पूर्वी कोने पर लगभग 12 फीट नीचे नक्काशीदार पत्थरों का जखीरा अचानक निकल आया। जिसमें अनेक अलंकृत और तराशे हुये किन्तु खण्डित पत्थर थे। आज वे सभी पुरावशेष अयोध्या संग्रहालय में संरक्षित हैं। पुरातत्ववेत्ताओं ने 2 और 3 जुलाई 1992 को स्थान का निरीक्षण किया और वे इस निश्चय पर पहुंचे कि सभी अवशेष 12वीं शताब्दी में उत्तर भारत में प्रचलित शैली के मंदिर के हैं। प्राप्त पुरावशेषों में मुख्यत: शिखर आमलक, जाल अलंकरण, शीर्ष, छज्जा, जगती का तला थर, द्वारशाखा, शिव-पार्वती हैं। जिस स्थान पर विवादित ढांचा खड़ा था वहां पक्की इटों की एक विशाल दीवार भी मिली।

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