Wednesday 19 January 2011

भगतसिंह ने कहा... 'क्रान्तिकारी सिर्फ़ तर्क में विश्‍वास करते हैं...'

एक क्रान्तिकारी सबसे अधिक तर्क में विश्‍वास करता है। वह केवल तर्क और तर्क में ही विश्‍वास करता है। किसी प्रकार का गाली-गलौच या निन्‍दा, चाहे वह ऊँचे से ऊँचे स्‍तर से की गयी हो, उसे अपने निश्‍ि‍चत उद्देश्‍य-प्राप्ति से वंचित नहीं कर सकती। यह सोचना कि यदि जनता का सहयोग न मिला या उसके कार्य की प्रशंसा न की गयी तो वह अपने उद्देश्‍य को छोड़ देगा, निरी मूर्खता है। अनेक क्रान्तिकारी, जिनके कार्यों की वैधानिक आन्‍दोलनकारियों ने घोर निन्‍दा की, फिर भी वे उसकी परवाह न कर फॉंसी के तख्‍़ते पर झूल गये। यदि तुम चाहते हो कि क्रान्तिकारी अपनी गतिविधियों को स्‍थगित कर दें तो उसके लिए होना तो यह चाहिए कि उनके साथ्‍ा तर्क द्वारा अपना मत प्रमाणित किया जाये। यह एक, और केवल यही एक रास्‍ता है, और बाक़ी बातों के विषय में किसी को सन्‍देह नहीं होना चाहिए। क्रान्तिकारी इस प्रकार के डराने-धमकाने से कदापि हार मानने वाला नहीं।
-- 'बम का दर्शन' लेख से

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