Sunday, 16 January 2011

हिन्दु धर्म गिरिजनों एवं वनवासियों का धर्म है

हिन्दु धर्म गिरिजनों एवं वनवासियों का धर्म है 

 हिन्दु धर्म का प्राकट्य और विकास वनों और पर्वतों में हुआ है जबकि संसार के सभी मत, पंथ, रिलिजन और मजहब का जन्म नगरों, महानगरों और बस्तियों में हुआ है। आचार्य धर्मेंद्र यहां शंभू मंदिर मे राम कथा का वाचन कर रहे थे। इस क्रम में उन्होंने कहा हिन्दु धर्म गिरिजनों और वनवासियों का धर्म है। भगवान शंकर हिमालय के सर्वोच्च मानसरोवर के तट पर कैलाश पर्वत में निवास करते है। उनकी अभिन्न स्वरुपा अधार्गिंनी का तो नाम ही पार्वती अर्थात पर्वत की बेटी है। हिन्दुओं के दुसरे अराध्य देव हनुमान गुफाओ, वनों, पर्वतों में निवास करते है। वेदो, उपनिषदों, पुराणो, स्मृतियों एवं रामायण और महाभारत जैसै धर्मग्रंथों की रचना वनों-पर्वतों में हुई है। हिन्दु धर्म के सभी आराध्यों का वनों से अटूट संबंध रहा है। श्रीराम के जिवन से चित्रकुट, कमिदगिरि जैसै वनों और पर्वतों को अलग नहीं किया जा सकता है। उसी तरह भगवान श्री कृष्ण का गोवर्द्वन पर्वत और वृन्दावन से संबंध सर्वविदित है। उन्होंने कहा हिन्दु धर्म प्रकृति और पर्यावरण का धर्म है। रामकथा वनों की कथा है। इसकी सार्थकता और पूर्णता प्रदान करने के लिए ही भगवान श्रीराम भगवती सीता और लक्ष्मण के साथ वनों की महायात्रा हेतु अग्रसर हुए थे। आचार्य ने कहा कि केवल हिन्दु धर्म के उपासक ही है जो वटवृक्ष, पीपल, आंवले और केले के वृक्ष की पूजा करते हैं। तुलसी और बेल के पते उनके लिए इश्वरीय प्रसाद है। हिन्दु धर्म में नदियों, सूर्य, चंद्रमा, आकाश की पूजा किया जाता है।

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