Sunday, 30 January 2011

गांधीजी के प्रिय भजन

गांधीजी के प्रिय भजन

वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड पराई जाणे रे।।
पर दृखे उपकार करे तोये,
मन अभिमान न आणे रे।।

सकल लोकमां सहुने वंदे,
निंदा न करे केनी रे।।

वाच काछ मन निश्चल राखे,
धन-धन जननी तेनी रे।।

समदृष्टी ने तृष्णा त्यागी,
परत्री जेने ताम रे।।

जिहृवा थकी असत्य न बोले,
पर धन नव झाले हाथ रे।।

मोह माया व्यापे नहि जेने,
दृढ वैराग्य जेना मनमां रे।।

रामनाम शुं ताली लागी,
सकल तीरथ तेना तनमां रे।।

वणलोभी ने कपटरहित छे,
काम क्रोध निवार्या रे।।

भणे नरसैयों तेनु दरसन करतां,
कुळ एकोतेर तार्या रे।।

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