Saturday 4 December 2010

ताला खुला श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन विजय दशमी 1985 से छह श्रीराम जानकी रथ यात्राएं केवल उत्तर प्रदेश में पुन: प्रारम्भ हुई। अक्टूबर 1985 में उडुप्पी (कर्नाटक) में धर्म संसद का द्वितीय अधिवेशन हुआ, 850 सन्तों ने भाग लिया। महाशिवरात्रि 1986 तक ताला न खोले जाने पर सत्याग्रह करने का प्रस्ताव पारित हुआ। महंत परमहंस रामचन्द्र दास महाराज ने ताला न खोलने पर आत्मदाह की घोषणा की।

ताला खुला श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
विजय दशमी 1985 से छह श्रीराम जानकी रथ यात्राएं केवल उत्तर प्रदेश में पुन: प्रारम्भ हुई। अक्टूबर 1985 में उडुप्पी (कर्नाटक) में धर्म संसद का द्वितीय अधिवेशन हुआ, 850 सन्तों ने भाग लिया। महाशिवरात्रि 1986 तक ताला खोले जाने पर सत्याग्रह करने का प्रस्ताव पारित हुआ। महंत परमहंस रामचन्द्र दास महाराज ने ताला खोलने पर आत्मदाह की घोषणा की।


सीतामढ़ी
(बिहार) से 25 सितम्बर 1984 को प्रारम्भ हुई श्रीराम जानकी रथयात्रा सड़क मार्ग से ग्रामों, कस्बों में जन-जागरण करती हुई छह अक्टूबर को अयोध्या पहुंची। सात अक्टूबर को अयोध्या में सरयू तट पर सन्तों और भक्तों ने सरयू जल हाथ में लेकर जन्मभूमि की मुक्ति का संकल्प लिया। 'जन्मभूमि का ताला खोलो' का उद्घोष करते हुए श्रीराम जानकी रथ ने लखनऊ की ओर कूच किया। लखनऊ में धर्म सभा के पश्चात रथ दिल्ली की ओर चला। दुर्भाग्य से तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की निर्मम हत्या कर दिए जाने के कारण रथयात्रा के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। विजय दशमी 1985 से छह श्रीराम जानकी रथ यात्राएं केवल उत्तर प्रदेश में पुन: प्रारम्भ हुई। अक्टूबर 1985 में उडुप्पी (कर्नाटक) में धर्म संसद का द्वितीय अधिवेशन हुआ, 850 सन्तों ने भाग लिया। महाशिवरात्रि 1986 तक ताला खोले जाने पर सत्याग्रह करने का प्रस्ताव पारित हुआ। महंत परमहंस रामचन्द्र दास महाराज ने ताला खोलने पर आत्मदाह की घोषणा की। रथों ने उत्तर प्रदेश का मंथन कर डाला, अद्भुत जन-जागरण हुआ। एक अधिवक्ता उमेश चन्द्र पाण्डेय के प्रार्थना पत्र पर फैजाब के तत्कालीन जिला न्यायाधीश केएम पाण्डेय ने सभी तथ्यों का संज्ञान लेते हुए एक फरवरी 1986 को श्रीराम जन्मभूमि पर लगा ताला खोलने का आदेश दे दिया। उसी दिन सायंकाल ताला तोड़ दिया गया। भक्तगण ढांचे के मध्य गुम्बद के नीचे स्थित रामलला के दर्शन करने के लिए प्रवेश करने लगे। मुस्लिम पक्ष ने निर्णय के विरुद्ध अपील की। ताला खोले जाने के आदेश के विरुद्ध मुसलमानों की सभी अपीलें उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 1989 में निरस्त कर दीं।

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