Saturday 4 December 2010

आन्दोलन ‌की शुरूआत श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दाऊदयाल खन्ना के मस्तिष्क में श्रीराम जन्मभूमि-अयोध्या, श्रीकृष्ण जन्मभूमि-मथुरा और काशी विश्वनाथ मन्दिर को मुक्त कराने का विचार कौंधा। उन्होंने इन मन्दिरों की मुक्ति को सर्वप्रथम काशीपुर (नैनीताल) में हिन्दू सम्मेलन में अपने भाषण का विषय बनाया। तत्पश्चात अप्रैल 1983 में मुजफ्फरनगर (उप्र) में हुए हिन्दू सम्मेलन में इन तीनों मन्दिरों की मुक्ति का प्रस्ताव स्वयं प्रस्तुत किया। इन सम्मेलनों का अयोजन हिन्दू जागरण मंच की ओर से किया गया था।


आन्दोलनकी शुरूआत श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दाऊदयाल खन्ना के मस्तिष्क में श्रीराम जन्मभूमि-अयोध्या, श्रीकृष्ण जन्मभूमि-मथुरा और काशी विश्वनाथ मन्दिर को मुक्त कराने का विचार कौंधा। उन्होंने इन मन्दिरों की मुक्ति को सर्वप्रथम काशीपुर (नैनीताल) में हिन्दू सम्मेलन में अपने भाषण का विषय बनाया। तत्पश्चात अप्रैल 1983 में मुजफ्फरनगर (उप्र) में हुए हिन्दू सम्मेलन में इन तीनों मन्दिरों की मुक्ति का प्रस्ताव स्वयं प्रस्तुत किया। इन सम्मेलनों का अयोजन हिन्दू जागरण मंच की ओर से किया गया था।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर से अनेक बार विधायक चुने गए और चन्द्रभानु गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में स्वास्थ्य मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दाऊदयाल खन्ना के मस्तिष्क में श्रीराम जन्मभूमि-अयोध्या, श्रीकृष्ण जन्मभूमि-मथुरा और काशी विश्वनाथ मन्दिर को मुक्त कराने का विचार कौंधा। उन्होंने इन मन्दिरों की मुक्ति को सर्वप्रथम काशीपुर (नैनीताल) में हिन्दू सम्मेलन में अपने भाषण का विषय बनाया। तत्पश्चात अप्रैल 1983 में मुजफ्फरनगर (उप्र) में हुए हिन्दू सम्मेलन में इन तीनों मन्दिरों की मुक्ति का प्रस्ताव स्वयं प्रस्तुत किया। इन सम्मेलनों का अयोजन हिन्दू जागरण मंच की ओर से किया गया था। दाऊदयाल खन्ना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को पत्र लिखकर तीनों धर्मस्थलों के सम्बन्ध में शीघ्र समाधान खोजने का निवेदन भी किया। अप्रैल 1984 में दिल्ली में विज्ञान भवन में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से धर्म संसद का प्रथम आयोजन किया गया था। धर्म संसद में 575 धर्माचार्य उपस्थित थे। दाऊदयाल खन्ना ने तीनों धर्म स्थानों की मुक्ति का प्रस्ताव पुन: रखा जो एक मत से स्वीकार हुआ। श्रीराम जन्मभूमि मुकति यज्ञ समिति की स्थापना हुई, गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ इस समिति के अध्यक्ष, दाऊदयाल खन्ना महामंत्री और ओंकारजी भावे, महेश नारायण सिंह, दिनेश त्यागी (हिन्दू महासभा के पदाधिकारी) मंत्री घोषित किए गए। श्रीराम जन्मभूमि पर लगे ताले को खुलवाने के लिए जन-जागरण करने का निर्णय हुआ।

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  1. अधिवक्ता उमेश चन्द्र पाण्डेय के प्रार्थना पत्र पर फैजाबाद के तत्कालीन जिला न्यायाधीश केएम पाण्डेय ने सभी तथ्यों का संज्ञान लेते हुए एक फरवरी 1986 को श्रीराम जन्मभूमि पर लगा ताला खोलने का आदेश दे दिया। उसी दिन सायंकाल ताला तोड़ दिया गया। भक्तगण ढांचे के मध्य गुम्बद के नीचे स्थित रामलला के दर्शन करने के लिए प्रवेश करने लगे।

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