Tuesday 30 November 2010

आतंकियों को दबोचने को व्यापक अभियान


किश्तवाड़। जिले के केशवान इलाके में एसटीएफ के इंचार्ज की मां की हत्या करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के जिला कमांडर हबीब गुज्जर उर्फ सलमान व उसके साथियों को दबोचने के लिए सुरक्षाबलों ने व्यापक अभियान चलाया है। इस मामले में पांच आतंकियों के साथ उनकी मदद करने वाले स्थानीय लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पिछले कई दिनों से किश्तवाड़ के केशवान इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हबीब गुज्जर उर्फ सलमान ने आतंक फैला रखा है। जो उसका साथ नहीं देता उसकी सरेआम पिटाई की जाती है। चाहे औरत, बच्चे या फिर बूढ़े ही क्यों न हों।
इलाके में इतनी दहशत है कि स्थानीय लोग सलमान तथा उसके साथियों की कोई भी खबर सुरक्षाबलों को देने से कतराने लगे हैं। उसे दबोचने के लिए सेना तथा पुलिस ने कई बार घेरा डाला, लेकिन हर बार विफल रहे। उसके बच निकलने का एक कारण, अपने कुछ स्थानीय लोगों को लेकर चलना भी है। गत शुक्रवार रात को भी सलमान ने अपने चाचा मोहम्मद शफी को साथ रखा था। मुठभेड़ में उसके चाचा की मौत हो गई थी, लेकिन सलमान व उसके साथी मौके से भागने में सफल हो गए थे।

अपने चाचा की मौत से बौखलाए आतंकी ने रविवार रात को नागनीगढ़ पोस्ट इंचार्ज कासिमदीन की मां गुजरा बेगम की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद से पुलिस तथा सेना ने आतंकियों को दबोचने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया है। एसपी किश्तवाड़ डॉ. हसीब मुगल का कहना है कि सलाम सहित उसके पांचों आतंकियों को जल्द ही दबोच लिया जाएगा। जिन लोगों ने शनिवार को पुलिस तथा सेना पर पथराव किया था उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्हें भी दबोचने का काम शुरू हो गया है। गुजरा बेगम की हत्या के मामले में आतंकी हबीब गुज्जर उर्फ सलमान, मोहम्मद सुलतान उर्फ नुमान, मोहम्मद इशाक उर्फ मुवशर, जावेद हुरेरा तथा अख्तर के साथ इन आतंकियों की मदद करने वाले कुछ स्थानीय लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मौके पर एसडीपीओ तथा एसएचओ को भेजा गया है।
(Courtesy : www.in.jagran.yahoo.com, 23/11/2010)

हालात ने लटकाई पंडितों की वापसी 
जम्मू। छह माह से घाटी के बिगड़े हालातों के कारण कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी का मुद्दा भी अधर में लटक गया है। घाटी में अल्पसंख्यकों में फैली असुरक्षा की भावना से पंडित समुदाय भी असमंजस में है। प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत वापसी को लेकर सुनिश्चित की जाने वाली सुविधाओं को लेकर पंडितों में यह धारणा आम हो गई है कि वादी में उनको दी जाने वाली सुरक्षा के दावों में कोई दम नहीं है। इतना ही नहीं सरकार भी पंडितों की घाटी वापसी के मुद्दे को लेकर चुप्पी ही साधे हुए है। जहां तक कि प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत 2700 सरकारी नौकरियों के लिए चुने जाने वाले पंडित युवाओं को भी सरकार घाटी में नियुक्तियां नहीं दे पाई है।
वहीं, रिलीफ संगठन कार्यालय में भी घाटी वापसी के लिए दी जाने वाली आवेदनों की संख्या मात्र चार हजार तक ही पहुंच पाई है। हालात खराब होने के चलते जो लोग घाटी जाने की इच्छा भी रखते थे उन्होंने भी अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले दु‌र्व्यवहार को देखते हुए अपना इरादा बदल लिया है। रिलीफ कमीश्नर विनोद कौल के मुताबिक सरकार प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत घाटी में पंडितों को बसाने की पूरी मंशा रखती है। अभी उनके पास जिन परिवारों के वापसी के लिए प्रार्थना पत्र हैं वे भी जाने से परहेज करते हैं। उधर, वापसी को लेकर समुदाय में भी आम राय नहीं बन पाई है। समुदाय के कुछ संगठन जिनमें जम्मू कश्मीर विचार मंच, जम्मू कश्मीर यूनाइटेड फ्रंट, ऑल इंडिया कश्मीरी समाज व ऑल पार्टीज माइग्रेंटस कमेटी शामिल है, घाटी में सिंगल टाउनशिप की मांग करते हैं। ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस, कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस, पनुन कश्मीर जैसे संगठन होमलैंड की बात करते हैं।
(Courtesy : www.in.jagran.yahoo.com, 23/11/2010) 

आजादी के जश्न में डूबे पुंछवासी
पुंछ। 1947 में भारत-पाक विभाजन के बाद कबाइलियों ने पुंछ पर कब्जा जमा लिया था। 22 नवंबर को भारतीय सेना ने पुंछ को कबाइलियों से मुक्त करवाया। इस जंग में सेना के कई जवानों व अधिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी थी। उसके बाद हर साल 22 नवंबर को पुंछ में सेना द्वारा पुंछ लिंक आप- डे मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर सोमवार को सेना के जवानों द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया। साथ ही सेना के हेलीकाप्टर ने भी एयर शो पेश किया। इस अवसर पर डाग शो व हार्स शो भी प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर 25 डिवीजन के जीओसी ओम प्रकाश ने कहा कि सेना के जवानों ने अपनी प्राणों की आहुति देकर दुश्मन को क्षेत्र से खदेड़ा था। उन्होंने कहा कि उस समय स्थानीय लोगों ने भी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया था। अगर स्थानीय लोग सेना की मदद न करते तो दुश्मन को खदेड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती। उन्होंने कहा कि अब आतंकवाद के सफाए के लिए भी स्थानीय लोग सेना का पूरा सहयोग कर रहे है, जिससे क्षेत्र में काफी हद तक आतंकवादियों को सफाया कर लिया है।
इस अवसर पर सेना के जवानों के साथ साथ विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों पेशकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही हेलीकाप्टर ने भी हवा में कई कलाबाजी दिखाई। इस अवसर पर एसएसपी मनमोहन सिंह, जिला विकास आयुक्त कुलदीप खजुरिया, विधायक एजाज जान, एमएलसी जहांगीर मीर के अलावा काफी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। 
(Courtesy : www.in.jagran.yahoo.com, 23/11/2010)

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