एकमेव मार्ग श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
जून 1992, दिसम्बर 1992 और फरवरी 1993 में जमीन से प्राप्त पुरावशेष सरकार के कब्जे में हैं। छह दिसम्बर 1992 को प्राप्त शिलालेख सरकार के नियंत्रण में हैं। उसका छाप अदालत में सुरक्षित है। शिलालेख का पाठ विशेषज्ञों से पढ़वाया जा चुका है। राडार तरंगों से किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट की पुष्टि पुरातात्विक उत्खनन से हो चुकी है। भारत सरकार इस विवाद को हमेशा खत्म करने के लिए कानून बनाकर और यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप कर सांस्कृतिक स्वातंत्र्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
वार्तालाप के दौर अनेक बार हो चुके। चन्द्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में मुस्लिम व यूरोपीय इतिहासकारों के प्रमाण, राजस्व सम्बन्धी प्रमाण एवं हिन्दू समाज की परम्पराओं से सम्बंधित प्रमाण सरकार को सौंपे जा चुके हैं। जून 1992, दिसम्बर 1992 और फरवरी 1993 में जमीन से प्राप्त पुरावशेष सरकार के कब्जे में हैं। छह दिसम्बर 1992 को प्राप्त शिलालेख सरकार के नियंत्रण में हैं। उसका छाप अदालत में सुरक्षित है। शिलालेख का पाठ विशेषज्ञों से पढ़वाया जा चुका है। राडार तरंगों से किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट की पुष्टि पुरातात्विक उत्खनन से हो चुकी है। भारत सरकार इस विवाद को हमेशा खत्म करने के लिए कानून बनाकर और यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप कर सांस्कृतिक स्वातंत्र्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
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