मैं हिंदू क्यों हूं
मैं घोषणा करता हूं कि मैं एक हिंदू हूं, हिंदू इसलिए कि यह हमें स्वतंत्रता देता है, हम चाहें जैसे जिए. हम चाहें ईश्वर को माने या ना माने. मंदिर जाएं या नहीं जाएं, हम शैव्य बने या शाक्त या वैष्णव. हम चाहे गीता का माने या रामायण को, चाहे बुद्ध या महावीर या महात्मा गांधी मेरे आदर्श हों, चाहे मनु को माने या चार्वाक को. यही एक धर्म है जो एक राजा को बुद्ध बनने देता है, एक राजा को महावीर, एक बनिया को महात्मा, एक मछुआरा को वेदव्यास. मुझे अभिमान है इस बात का कि मैं हिंदू हूं. लेकिन साथ ही मैं घोषणा करता हूं कि मुस्लिम धर्म और ईसाई धर्म भी मेरे लिए उतने ही आदरणीय हैं जितना हिंदू धर्म. पैगम्बर मोहम्मद और ईसा मसीह मेरे लिए उतने पूज्य हैं जितने कि राम. लेकिन मैं फिर कहना चाहूंगा कि मैं हिंदू हूं, क्योंकि हिंदू धर्म मुझे इसकी इजाजत देता है. अच्छे मुसलमान और ईसाई से मैं उतना ही प्रेम करता हूं जितना एक अच्छे हिंदू से. लेकिन एक बूरे हिंदू से मैं उतना ही दूर रहना चाहूंगा, जितना एक बूरे मुसलमान और ईसाई से. हिंदू धर्म कम से कम मुझे यही सिखाता है. इस सीख, इस समझ के लिए मैं आजीवन हिंदू धर्म का आभारी रहूंगा.
मेरा मंतव्य साफ है कि न तो सभी हिंदू बूरे और न ही सभी मुसलमान और ईसाई ही. लेकिन हमारे देश के नब्बे प्रतिशत नेता सिर्फ बूरे की श्रेणी में ही नहीं, गद्दार की श्रेणी में भी आते हैं. वे राष्ट्र द्रोही हैं और सत्ता के लिए देश को बेचने के लिए भी तैयार हैं.
इन नेताओं में ज्यादातर कांग्रेस पार्टी, कम्युनिष्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्तिपार्टी और राजद के नेता शामिल हैं.
धर्म-निरपेक्षता के नाम पर ये लोग अपना वोट बैंक बनाने में लगे रहते हैं.
मुसलमानों को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल नहीं कर उनके मदरसों के लिए फंड जारी करते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि वे मुख्य धारा की शिक्षा में शामिल हों और देश का नागरिक बने. वे चाहते हैं कि वे सिर्फ उनका वोटबैंक बने रहें.
मुसलमानों को एक आम भारतीय नहीं मानकर, उनके लिए धर्म के आधार पर विशेष पैकेज जारी करते हैं.
मेरा मंतव्य साफ है कि न तो सभी हिंदू बूरे और न ही सभी मुसलमान और ईसाई ही. लेकिन हमारे देश के नब्बे प्रतिशत नेता सिर्फ बूरे की श्रेणी में ही नहीं, गद्दार की श्रेणी में भी आते हैं. वे राष्ट्र द्रोही हैं और सत्ता के लिए देश को बेचने के लिए भी तैयार हैं.
इन नेताओं में ज्यादातर कांग्रेस पार्टी, कम्युनिष्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्तिपार्टी और राजद के नेता शामिल हैं.
धर्म-निरपेक्षता के नाम पर ये लोग अपना वोट बैंक बनाने में लगे रहते हैं.
मुसलमानों को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल नहीं कर उनके मदरसों के लिए फंड जारी करते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि वे मुख्य धारा की शिक्षा में शामिल हों और देश का नागरिक बने. वे चाहते हैं कि वे सिर्फ उनका वोटबैंक बने रहें.
मुसलमानों को एक आम भारतीय नहीं मानकर, उनके लिए धर्म के आधार पर विशेष पैकेज जारी करते हैं.
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