Wednesday 8 December 2010

श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन हिन्दू समाज की सांस्कृतिक आजादी की लड़ाई है।

श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन हिन्दू समाज की सांस्कृतिक आजादी की लड़ाई है।
हिन्दू समाज अपने, अपने पूर्वजों, धर्म, संस्कृति के सम्मान की रक्षा के लिए जागरूक बना। यदि अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीकों को हटाना राष्ट्रभक्ति है, सोमनाथ मन्दिर का निर्माण सरदार पटेल की राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है, यदि प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू का सोमनाथ मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर उपस्थित रहना उनकी राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है, तो श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का आन्दोलन भी राष्ट्रभक्ति का ही प्रतीक है। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन यह किसी मन्दिर को प्राप्त करने की सामान्य लड़ाई नहीं है। कभी भी बदलने वाली जन्मभूमि को प्राप्त करने का यह संघर्ष है। जन्मभूमि भी एक ऐसे महपुरुष की जिसे कोटि-कोटि हिन्दू भगवान के रूप में पूजता है, मृत्यु के समय भी जिस नाम के उच्चारण की लालसा रखता है। इससे भी अधिक यह संघर्ष विदेशी इस्लामिक आक्रमणकारी के कलंक को मिटाने का संघर्ष है, यह संघर्ष हिन्दू समाज की सांस्कृतिक आजादी की लड़ाई है।

No comments:

Post a Comment