अदालत की वर्तमान स्थिति श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
बनारस के दोशीपुरा कब्रिस्तान से सम्बंधित शिया व सुन्नी मुसलमानों के बीच पिछले 110 वर्षों से चले आ रहे विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 1983 में दिए गए निर्णय का क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ। प्रश्न उठ रहा है कि क्या जागरूक और स्वाभिमानी समाज अपने धर्म की रक्षा का दायित्व सरकार की कृपा पर छोड़ दे?
अदालत में पुरातत्ववेत्ताओं की अयोध्या उत्खनन रिपोर्ट पर बयान लिखे जाने का कार्य समाप्ति की ओर है। बयान समाप्ति के बाद वकीलों की जिरह प्रारम्भ होगी। जिरह समाप्ति के बाद ही फैसला लिखा जाएगा। उच्च न्यायालय का फैसला घोषित होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में कोई न कोई पक्ष अपील लेकर अवश्य जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय कब और क्या निर्णय करेगा, इसकी भविष्यवाणी भी कोई नहीं कर सकता। अदालत का फैसला आने के बाद भी उसको क्रियान्वयन करने का नैतिक बल सरकार के पास होगा या नहीं, यह कहना भी बहुत कठिन है। बनारस के दोशीपुरा कब्रिस्तान से सम्बंधित शिया व सुन्नी मुसलमानों के बीच पिछले 110 वर्षों से चले आ रहे विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 1983 में दिए गए निर्णय का क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ। प्रश्न उठ रहा है कि क्या जागरूक और स्वाभिमानी समाज अपने धर्म की रक्षा का दायित्व सरकार की कृपा पर छोड़ दे?
No comments:
Post a Comment