Wednesday, 7 December 2011

सबको सम्मति दे भगवान् भैया यु ही श्रीमद भागवत में श्री कृष्ण ने नहीं कहा है की "संघे शक्ति कल्युगे" !!! हम कब बोले इस देश पर मुसलमानों का हक़ नहीं है ? हम कब बोले की मुसलमान ने देश के लिए बलिदान नहीं दिया ? हम कब बोले सारे मुसलमान आतंकवादी है ? हम कब बोले सारे मुसलमान देश के दुश्मन है ? हम कब बोले की भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करो और मुसलमानों को बाहर भगा दो ?

"उसने कहा था" पर किसने कहा ???


समर शेष है ,नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनके भी अपराध !!!



जय हिंद !!!
ये किसकी ऊँगली है,जो ऊँगली कर रहा है ?

"उसने कहा था" 
तो भैया यु ही श्रीमद भागवत में श्री कृष्ण ने नहीं कहा है की "संघे शक्ति कल्युगे" !!! 
हम कब बोले इस देश पर मुसलमानों का हक़ नहीं है ?
हम कब बोले की मुसलमान ने देश के लिए बलिदान नहीं दिया ?
हम कब बोले सारे मुसलमान आतंकवादी है ?
हम कब बोले सारे मुसलमान देश के दुश्मन है ?
हम कब बोले की भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करो और मुसलमानों को बाहर भगा दो ?

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* हमने कहा कश्मीर पर कश्मीरी पंडितो का भी हक़ है उसे दिलाने के लिए आगे आओ ! !
* हमने कहा जो मुसलमान आतंकवाद का साथ दे रहे है कौम उन्हें चिन्हित करे !
* हम कहते है मज़हब के नाम पर कतल करने वाले कातिलो को पकड़वाओ ,उनका साथ मत दो !
* हम कहते है दुश्मन के देश से अमन की आशा मत करो, ये उसकी फितरत नहीं है !
* हमने कहा उलेमाओं से जेहाद के नाम पर दहशत फैलाने वाले दहशतगर्दो पर फतवा जारी करे,की ऐसा करने वालो को क़यामत के दिन दोज़ख की आग नसीब होगी !
* हमने कहा बता दो कौम के नाम पर नफरत फैलाने वालो को की इस्लाम उनकी बपौती नहीं है, उनका जेहाद "जेहाद" नहीं है, और अमन चाहने वाली इस्लामी कौम कतई उनके साथ नहीं है !

तो भैया ज़रा ये बता दो की हमने ऐसा क्या , कहाँ और कब कहा जिससे हम दंगा करवा दंगाई बने ???
अब फिरभी इसपर कोई दंगा करने आये तो "करे" !!!!
रामायण काल में जिन्हें असुर कहा जाता था, वे भी हमारे पुरखो "होमोसेपियं" की ही औलाद थे ,पर उनके सामाजिक व्यवहार में जो दुराचरण था और उनकी मान्यता जो की संहारक और अमानवीय थी जिसके चलते उन्हें असुर कहा जाता था !
असुर कहना याने एक पूरे के पूरे समाज के प्रति धारणा बनाती है अमानवीय और संहारिक प्रवृति की !
ऐसा नहीं था उस समाज के कुछ लोग सदाचारी नहीं थे असुरो में भी बड़े प्रकांड देवभक्त और धर्मी थे पर उस समाज ने दुनिया के सामने अपनी जो छवि बनाई थी उसकी छवि एक भयानक रूप दिखाती है, दोष उस पूरे के पूरे समाज का था क्युकी उसने कर्मो द्वारा अपना ऐसा रूप दुनिया के सामने रक्खा था !
आज इस्लाम के मानने वालो ने भी विश्व में असुरो का अनुकरण कर लिया है ,वे उत्पात की इतनी पराकाष्ठा तक पहुच चुके है की असुर्तुल्या हो चुके है अब उनमे चंद सदाचारियो का आगे आ कर कहना की नहीं हम तो शान्ति अमन के वास्तेदार है और हम दुनिया के तिरस्कार का शिकार हो रहे है!!!

वो अगर कहते है आतंकवाद वाले हमारे भाई नहीं तो ये बताओ उन्हें पनाह क्यों दे रखा है ???

क्यों जेहाद का नाम ले कर दहशत फैलाने वालो के खिलाफ पूरा का पूरा कौम खुल कर सामने नहीं आ रहा ????

क्यों जामिया के पास में जब आतंकियों से मुठभेड़ होती है तो पुलिस बल पर पत्थर फेके जाते है ??

कश्मीरियों ने अगर आतंकियों को पनाह नहीं दी होती और भारत का साथ दिया होता तो क्या आतंकवाद सर उठा सकता ???

आजादी के साठ साल बाद वो कौन नए मुसलमान आ गए और किस नए कुरआन को पढ़ कर आ गए जो उन्हें वंदेमातरम पर ऐतराज़ हो गया साठ साल तक जो गाये थे वो अब मुसलमान नहीं है क्या ???

यदि मुस्लिम कौम सच्चा सेकुलर है तो क्यों आर्टिकिल ३७० के खिलाफ आवाज़ उठा पुनः पंडित भाइयो को कश्मीर में जगह वापस नहीं देती ???

हम कब कहते है की सारे मुसलमान आतंकी है??? हम तो ये याद दिला रहे है की सारे आतंकी मुसलमान है!!!

कब कहा हमने वीर अब्दुल हामिद भारत माँ का सपूत न था ? फिर तुम कहोगे अफज़ल/कसाब को भी अपना लो ???

२६ जनवरी को सारा धर्मनिरपेक्ष देश तिरंगा फेहराता है पर मुसलमानों का कश्मीर सरकारी तौर से कहता है इस प्रक्रिया से उन्माद फैलेगा लिहाज़ा तिरंगा न फहराया जाए !!! और तुम इस देश के लोगो से कहते हो की कौम निर्दोष है और देशभक्त है जिसे वे मान लेंगे ???

जमातुल दावा ,हिजबुल मुजाहिदीन ,इंडियन मुजाहिदीन, लश्करे तैयबा इनके खिलाफ किसी उलेमा ,मौलवी या ज़मात ने कभी फतवा सुनाया है??? की इनका साथ देने वाला काफिर है कौम का दुश्मन है और अल्लाह उसे दोजक के आग नसीब करवाएगा , ये जेहाद नहीं ज़लालत है और ये अल्लाह के बन्दों का काम नहीं है ??? किसी उलेमा को जानते हो तो हमें भी बताओ ???
सबको सम्मति दे भगवान् "कहने वाले की असली आवाज में कुछ ५० मिनट से ज्यादा का संकलन मेरे पास है जिसे सुन कर मुसलमानों का तब आज़ादी के वक्त क्या विचारधारा थी समझ जायेंगे, तब भी जैसे थे (इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान लेने के बाद ) आज भी ऐसे ही है !
हमारे जीने का मकसद चिता तक एक लंबा सुरक्षित सफ़र तय करना भर नहीं है , ये सफ़र है खुशिया बिखेरते और गम बटोरते चलते रहने का ! परिस्थितिया चाहे कोई भी हो दिल से सदा कहो ,
"भैया आल इज्ज़ वेल !!!"

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