Thursday, 3 February 2011

मोदी का करिश्‍माई सफर

वन्दे मातरम्

मोदी का करिश्‍माई सफर


 उत्‍तरी गुजरात के वड़नगर में 17 सितम्‍बर 1950 को जन्‍में नरेन्‍द्र मोदी का राजनीतिक सफर राष्‍ट्रीय स्‍वंय सेवक संघ के प्रचारक के रूप में शुरू हुआ। उन्‍हें वर्ष 1972 में प्रचारक के रूप में हिमाचल प्रदेश के कागड़ा भेजा गया। उनके संगठन कौशल को देखते हुए वर्ष 1984 में उन्‍हें भाजपा में प्रवेश मिला। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी के ‘प्रिय’ मोदी ने उनकी सोमनाथ यात्रा में जमकर हिस्‍सेदारी ली। वर्ष 1992 में उन्‍हें पार्टी का महासचिव बनाकर गुजरात का प्रभार सौंपा गया।

वर्ष1995 में उन्‍होंने गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाया गया। इस चुनाव में राज्‍य में भाजपा को विजयश्री हासिल हुई। इसके बाद मोदी को पार्टी का राष्‍ट्रीय महासचिव बनाया गया। वर्ष 2001 में उनकी जिंदगी में उस वक्‍त नया मोड़ आया जब उन्‍हें पार्टी के केन्‍द्रीय नेतृत्‍व ने मुख्‍यमंत्री केशुभाई पटेल की जगह गुजरात के मुख्‍यमंत्री पद की कुर्सी सौंप दी।

गोधरा कांड के बावजूद गुजरात की 11वीं विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस का पत्‍ता साफ कर उन्‍होंने साबित कर दिया कि वे राजनीति के एक बड़े खिलाड़ी हैं। मोदी ने अपनी जीत को गुजरात की अस्मिता से जोड़कर रख दिया। उन्‍होंने कहा कि यह उनकी नहीं बल्कि गुजरात की 5 करोड़ जनता की जीत है। जब सोनिया गांधी ने उन्‍हें ‘मौत का सौदागर’ की उपाधि दी तो उन्‍होंने पलटवार करते हुए कहा कि मैं नहीं बल्कि कांग्रेसी पार्टी ‘मौत का सौदागर’है। उनका करिश्‍मा इस बार के चुनाव में भी साफ तौर पर दिखाई दिया। अब लोग उन्‍हें प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार भी बता रहे हैं। 

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