Saturday, 21 February 2015

भगवान को पाने के तीन सूत्र-रामकृष्ण परमहंस

भगवान को पाने के तीन सूत्र है वो है हमारा भगवान के प्रति समर्पण (Dedication), विसर्जन और विलय (merging) (क्रमश) ।
रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramahamsa) के अनुसार इन तीनो साधनाओ को करने के लिए नीचे लिखे पाच भावो में से कोई भी एक अपना कर हम भगवन को पा सकते है इनके द्वारा भक्त, अपने भगवान के प्रति, अपनी प्रीति जता सकता –
१. दास भाव - रामकृष्ण परमहंस ने अपनी इस साधना के दौरान जो भाव हनुमान का अपने प्रभु राम से था इसी भाव से उन्होंने साधना की और साधना के अंत में उन्हें प्रभु श्रीराम और माता सीता के दर्शन हुए और वे उनके शरीर में समा गए ।
२. दोस्त भाव - इस साधना में स्वयं को सुदामा मान कर और भगवान को अपना मित्र मानकर की जाती है ।
३. वात्सल्य भाव - 1864 में रामकृष्ण एक वैष्णव गुरु जटाधारी के सनिद्य में वात्सल्य भाव की साधना की, इस अवधि के दौरान उन्होंने एक मां के भाव से रामलला के एक धातु छवि (एक बच्चे के रूप में राम) की पूजा की. रामकृष्ण के अनुसार, वह धातु छवि में रहने वाले भगवान के रूप में राम की उपस्थिति महसूस करते थे ।
४. माधुर्य भाव - बाद में रामकृष्ण ने माधुर्य भाव की साधना की. उन्होंने अपने भाव को कृष्ण के प्रति गोपियों और राधा का रखा. इस साधना के दौरान, रामकृष्ण कई दिनों महिलाओं की पोशाक में रह कर स्वयं को वृंदावन की गोपियों में से एक के रूप में माना. रामकृष्ण के अनुसार, इस साधना के अंत में, वह साथ सविकल्प समाधि प्राप्त की ।
५ . संत का भाव (शांत स्वाभाव) - अन्त में उन्होने संत भाव की साधना की. इस साधना में उन्होंने खुद को एक बालक के रूप में मानकर माँ काली की पूजा की और उन्हें माँ काली की दर्शन हुए ।

No comments:

Post a Comment