आज बात मैं यहाँ गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की मानवता के प्रति भेद-भावपूर्ण और संवेदनहीन अमानवीय कृत्यों की करने जा रहा था, मगर चूँकि जब शीर्षक ही मैंने ऐंसा दे मारा तो मुझे यह भी बताना पड़ेगा कि जिन भक्तों से मैं इनकी तुलना कर रहा हूँ, उन अल्लाह के वन्दों का मानवता के प्रति हालिया अपराध क्या था? तो लीजिये एक नजर अफगानिस्तान की इस लडकी जिसका नाम बीबी अइशा है, के चित्र पर दौड़ाइए, जिसके अल्लाह भक्त तालीबानी पति ने १७ साल की इस लडकी के नाक-कान काट डाले और वह भी तब,जब वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली थी ! इसलिए उम्मीद करता हूँ कि मेरे इस लेख का शीर्षक कुछ लोगो को चुभेगा नहीं !
आइये अब बात करते है इन गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की ! इनकी कारगुजारियों से तो इतिहास पटा पड़ा है ! मसलन कैसे इन्होने अमेरिका पहुँचने पर वहाँ के रेड इंडियंस का समूल नाश किया, कैसे इन्होने अपने अधीन गुलाम देशों में लोगो का उत्पीडन किया! और हालिया विक्किलीक्स का वीडियो तो आप सभी ने देखा होगा कि ईराक में कैसे सड़क किनारे खड़े लोगो को इन्होने हैलीकॉप्टर से निशाना बनाकर मौत की नींद सुलाया ! मगर इनका पिछली सदी का जो सबसे बड़ा घृणित कृत्य था, वह था हिरोशिमा और नागासाक़ी ! जिसमे एक पल में इन्होने लाखों को मौत की आगोश में बेरहमी से धकेल दिया !
६ अगस्त १९४५, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमन के निर्देश पर हिरोशिमा में स्थानीय समय के अनुसार सुबह ८ बजकर १५ मिनट पर हिरोशिमा के ऊपर शहर से १९०० फिट की ऊँचाई पर यह "लिटिल बॉय " फूट गया ! मगर जो उसका वास्तविक निशाना था, ऐओइ ब्रिज उसे वह करीब ८०० फिट के अंतर से चूक गया ! स्टाफ सार्जेट जोर्ज कैरोंन ने आँखों देखी इस तरह बयान की थी; " मसरूम की तरह बादल अपने आप में एक शानदार नजारा था, जलते हुए लाल गोले के साथ बैंगनी भूरा उबलता हुआ धुँआ स्पष्ट देखा जा सकता था...."
लगभग ७० हजार लोग तुरंत मारे गए और करीब इतने ही लोग अगले कुछ सालों में रेडियेशन की वजह से मरे, जो बचे भी तो उनका बचना भी अपने आप में एक पीडादायक जीवन बनकर रह गया !
जीवित बचे एक प्रत्यक्ष दर्शी के शब्दों में "The appearance of people was... well, they all had skin blackened by burns... They had no hair because their hair was burned, and at a glance you couldn't tell whether you were looking at them from in front or in back... They held their arms bent [forward] like this... and their skin - not only on their hands, but on their faces and bodies too - hung down... If there had been only one or two such people... perhaps I would not have had such a strong impression. But wherever I walked I met these people... Many of them died along the road - I can still picture them in my mind -- like walking ghosts..."
मैनहाटन में उस ज़माने में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमन और उनके उत्तराधिकारी रूजवेल्ट ने २ मिलियन डालर का परमाणु बम बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान चलाया था, और सरकार कौंग्रेस की तरफ से यह दबाब झेल रही थी कि इतने खर्चीले प्रोजक्ट की उपयोगिता क्या थी ? अत ट्रूमन के सेकेट्री जेम्स ब्येर्नेस ने उसे यह आइडिया दिया कि जितनी जल्दी बम बने उसे परिक्षण के लिए गिराया जाए ! और इन फिरंगियों का भेदभाव देखिये कि आजमाने के लिए यूरोप में जर्मनी सबसे माकूल जगह थी मगर वो तो अपने भाईबंद थे अत जापानियों को चुना गया ! हिटलर को तो ये मुलजिम कहते है मगर अपने गुनाह सिर्फ जल्दी द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म करने की तार्किकता के अन्दर छुपा जाते है !
आज ६५वी वर्षगांठ पर हिरोशिमा के पीस पार्क में उन बेगुनाहों को श्रधान्जली दी गई ;
आइये अब बात करते है इन गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की ! इनकी कारगुजारियों से तो इतिहास पटा पड़ा है ! मसलन कैसे इन्होने अमेरिका पहुँचने पर वहाँ के रेड इंडियंस का समूल नाश किया, कैसे इन्होने अपने अधीन गुलाम देशों में लोगो का उत्पीडन किया! और हालिया विक्किलीक्स का वीडियो तो आप सभी ने देखा होगा कि ईराक में कैसे सड़क किनारे खड़े लोगो को इन्होने हैलीकॉप्टर से निशाना बनाकर मौत की नींद सुलाया ! मगर इनका पिछली सदी का जो सबसे बड़ा घृणित कृत्य था, वह था हिरोशिमा और नागासाक़ी ! जिसमे एक पल में इन्होने लाखों को मौत की आगोश में बेरहमी से धकेल दिया !
६ अगस्त १९४५, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमन के निर्देश पर हिरोशिमा में स्थानीय समय के अनुसार सुबह ८ बजकर १५ मिनट पर हिरोशिमा के ऊपर शहर से १९०० फिट की ऊँचाई पर यह "लिटिल बॉय " फूट गया ! मगर जो उसका वास्तविक निशाना था, ऐओइ ब्रिज उसे वह करीब ८०० फिट के अंतर से चूक गया ! स्टाफ सार्जेट जोर्ज कैरोंन ने आँखों देखी इस तरह बयान की थी; " मसरूम की तरह बादल अपने आप में एक शानदार नजारा था, जलते हुए लाल गोले के साथ बैंगनी भूरा उबलता हुआ धुँआ स्पष्ट देखा जा सकता था...."
लगभग ७० हजार लोग तुरंत मारे गए और करीब इतने ही लोग अगले कुछ सालों में रेडियेशन की वजह से मरे, जो बचे भी तो उनका बचना भी अपने आप में एक पीडादायक जीवन बनकर रह गया !
जीवित बचे एक प्रत्यक्ष दर्शी के शब्दों में "The appearance of people was... well, they all had skin blackened by burns... They had no hair because their hair was burned, and at a glance you couldn't tell whether you were looking at them from in front or in back... They held their arms bent [forward] like this... and their skin - not only on their hands, but on their faces and bodies too - hung down... If there had been only one or two such people... perhaps I would not have had such a strong impression. But wherever I walked I met these people... Many of them died along the road - I can still picture them in my mind -- like walking ghosts..."
मैनहाटन में उस ज़माने में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमन और उनके उत्तराधिकारी रूजवेल्ट ने २ मिलियन डालर का परमाणु बम बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान चलाया था, और सरकार कौंग्रेस की तरफ से यह दबाब झेल रही थी कि इतने खर्चीले प्रोजक्ट की उपयोगिता क्या थी ? अत ट्रूमन के सेकेट्री जेम्स ब्येर्नेस ने उसे यह आइडिया दिया कि जितनी जल्दी बम बने उसे परिक्षण के लिए गिराया जाए ! और इन फिरंगियों का भेदभाव देखिये कि आजमाने के लिए यूरोप में जर्मनी सबसे माकूल जगह थी मगर वो तो अपने भाईबंद थे अत जापानियों को चुना गया ! हिटलर को तो ये मुलजिम कहते है मगर अपने गुनाह सिर्फ जल्दी द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म करने की तार्किकता के अन्दर छुपा जाते है !
आज ६५वी वर्षगांठ पर हिरोशिमा के पीस पार्क में उन बेगुनाहों को श्रधान्जली दी गई ;
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