Thursday 3 February 2011

राष्ट्र का संगठन आर.एस.एस (R.S.S.)

राष्ट्र का संगठन आर.एस.एस (R.S.S.)             

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ जिसे आर.एस.एस (R.S.S.) जाना जाता है मुझे नही लगता कि किसी को संघ की  पहचान बताने की जरूरत है। आज यह कहना ही उचित होगा कि इसके आलोचक ही इसकी मुख्य पहचान है। जब आलोचक संघ की कटु आलोचना करते नज़र आते है तब तब संघ और मजबूत होता हुआ दिखाई पड़ता है। छद्म धर्मनिरपेक्षवादी लोगो को यही लगता है कि भारत उन्ही के भरोसे चल रहा होता है किन्‍तु जानकर भी पागलो की भांति हरकत करते है जैसे उन्‍हे पता ही न हो कि संघ की वास्‍तविक गतिविधि क्‍या है ?
RSS chif mohan ji bhagvat
संघ के बारे थोड़ा बताना चाहूँगा उन धर्मनिरपेक्ष बंदरो को जो अपने आकाओ के इसारे पर नाचने की हमेशा नाटक करते रहते है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्‍थापना सन् 27 सितंबर 1925 को  विजय दशमी के दिन  मोहिते के बाड़े नामक स्‍थान पर डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टर जी ने की थी। संघ के 5 स्‍वयंसेवको के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ में बदल गई और ये 5 स्‍वयंसेवक आज करोड़ो स्‍वयंसेवको के रूप में हमारे समाने है। संघ की विचार धारा में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र, राम जन्मभूमि, अखंड भारत, समान नागरिक संहिता जैसे विजय है जो देश की समरसता की ओर ले जाता है। कुछ लोग संघ की सोच को राष्ट्र विरोधी मानते है क्‍योकि उनका काम ही है यह मानना, नही मानेगे तो उनकी राजनीतिक गतिविधि खत्‍म हो जाती है।

RSS sangh chalak mohan ji bhagwat

 राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की हमेशा अवधारणा रही है कि 'एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे' बात सही भी है। जब समूचे राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिको को एक सूत्र मे बाधा गया है तो धर्म के नाम पर कानून की बात समझ से परे हो जाती है, संघ द्वारा समान नागरिक संहिता की बात आते ही संघ को सामप्रदायिक होने की संज्ञा दी जाती है। अगर देश के समस्‍त नागरिको के लिये एक नियम की बात करना सामप्रदायिकता है तो मेरी नज़र में इस सामप्रदायिकता से बड़ी देशभक्ति और नही हो सकती है।
 Rashtriya Swayamsevak Sangh  RSS
संघ ने हमेशा कई मोर्चो पर अपने आपको स्‍थापित किया है। राष्ट्रीय आपदा के समय संघ कभी यह नही देखता‍ कि किसकी आपदा मे फसा हुआ व्‍यक्ति किस धर्म का है। आपदा के समय संघ केवल और केवल राष्ट्र धर्म का पालन करता है कि आपदा मे फसा हुआ अमुख भारत माता का बेटा है। गुजरात में आये भूकम्प और सुनामी जैसी घटनाओ के समय सबसे आगे अगर किसी ने राहत कार्य किया तो वह संघ का स्‍वयंसेवक था। संघ के प्रकल्पो ने देश को नई गति दी है, जहाँ दीन दयाल शोध संस्थान ने गांवों को स्वावलंबी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। संघ के इस संस्‍थान ने अपनी योजना के अंतगत करीब 80 गांवों में यह लक्ष्य हासिल कर लिया और करीब 500 गांवों तक बिस्‍तार किए जाने हैं। दीन दयाल शोध संस्थान के इस प्रकल्प में संघ के हजारों स्‍वयंसेवक बिना कोई वेतन लिए मिशन मानकर अपने अभियान मे लगे है। सम्‍पूर्ण राष्‍ट्र में संघ के विभिन्‍न अनुसांगिक संगठनो राष्ट्रीय सेविका समिति, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, भारतीय मजदूर संघ, हिंदू स्वयंसेवक संघ, हिन्दू विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, दुर्गा वाहिनी, सेवा भारती, भारतीय किसान संघ, बालगोकुलम, विद्या भारती, भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम सहित ऐसे संगठन कार्यरत है जो करीब 1 लाख प्रकल्‍पो को चला रहे है।
rashtriya swayamsevak sangh 
संघ की प्रार्थना भी भारत माता की शान को चार चाँद लगता है, संघ की प्रार्थना की एक एक लाईन राष्‍ट्र के प्रति अपनी सच्‍ची श्रद्धा प्रस्‍तुत करती है संघ की प्रार्थना और उसके अर्थ को पढ़ा जा सकता है। संघ का गाली देने से संघ का कुछ बिगड़ने वाला नही है अप‍ितु गंदे लोगो की जुब़ान की गन्‍दगी ही परिलक्षित होती है।

 swayamsevak adhikari

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