Thursday, 4 December 2014

जरा विचार करें

जरा विचार करें श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन
सोमनाथ मन्दिर का निर्माण सरदार पटेल की राष्ट्रभक्ति का प्रतीकहैयदि प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू का सोमनाथ मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर उपस्थित रहना उनकी राष्ट्रभक्ति का प्रतीकहैतो श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का आन्दोलन भी राष्ट्रभक्ति का हीप्रतीक है। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन यह किसी मन्दिर कोप्राप्त करने की सामान्य लड़ाई नहीं है। कभी भी  बदलने वालीजन्मभूमि को प्राप्त करने का यह संघर्ष है। जन्मभूमि भी एक ऐसेमहपुरुष की जिसे कोटि-कोटि हिन्दू भगवान के रूप में पूजता है,


स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात के राजनीतिक नेतृत्व का व्यवहार श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन को समझने में बहुत सहायक है। आजादी केतत्काल बाद झण्डा बदला गयायूनियन जैक के स्थान पर तिरंगालाया गया अर्थात यूनियन जैक में गुलामी और तिरंगे में स्वातंत्र्यऔर स्वाभिमान के दर्शन किए गए। देश में जहां-जहां रानीविक्टोरिया की मूर्तियां स्थापित थींउन सबको एक-एक करकेहटाया जाने लगा। अयोध्या ा तुलसी उद्यानअमृतसर काविक्टोरिया चौकदिल्ली में चांदनी चौक का पार्क इसके उदाहरणहैं। दिल्ली में इण्डिया गेट के नीचे खड़ी अंग्रेज की मूर्ति हटाई गई।देश में सड़कों और पार्कों के नाम बदले गएजीटी रोडमहात्मागांधी मार्ग बन गया। कम्पनी गार्डन को गांधी पार्क कहा जाने लगा।दिल्ली के इर्विन हॉस्पिटलविलिंग्टन हॉस्पिटलमिन्टो ब्रिज येसभी नाम बदल दिए गए। कारण स्पष्ट है कि इन नामों में विदेशीगुलामी की दुर्गन्ध आती थी।

गुलामी के प्रतीकों को समाप्त करने की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रथमगृहमंत्री सरदार बल्लभ  पटेल ने सोमनाथ मन्दिर की मुक्तिका संकल्प लिया थाकेन्द्रीय मंत्री मण्डल ने प्रस्ताव पारित किया।महात्मा गांधी की सहमति से एक न्यास बनारातों-रात सोमनाथमन्दिर के स्थान पर बना ढांचा समुद्र में चला गया। सम्पूर्ण भूखण्डन्यास को समर्पित हो गया। एक भव्य वहां मन्दिर का निर्माण हुआ।मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के समय प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसादबाबूजी स्वयं उपस्थित रहे। उनका भाषण सबके लिए और आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक है। देश में धीरे-धीरे मुस्लिमवोट बैंक की राजनीति शुरू हो गई। सरदार पटेल की मृत्यु के बादइस्लामिक गुलामी के चिन्हों को हटाने में राजनेताओं को अपनाराजनीतिक जीवन समाप्त होता दिखने लगा। मुस्लिम समाजचुनावों में मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए मतदान करता है जबकिहिन्दू समाज अपनी जातिभाषापंथ के आधार पर अपनी रूचिके व्यक्ति ो जिताने में आनन्दित होता है। वह अपने सम्मान कीरक्षा के लिए वोट नहीं देता। इस परिस्थिति को बदलने का कार्यश्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन ने किया। मुस्लिम वोट बैंक कीराजनीति पर अंकुश लगा।
हिन्दू समाज अपनेअपने पूर्वजोंधर्मसंस्कृति के सम्मान की रक्षाके  लिए  जागरूक  बना।  यदि  अंग्रेजों  की  गुलामी  के  प्रतीकों  कोहटाना  राष्ट्रभक्ति  है ,  सोमनाथ  मन्दिर  का  निर्माण  सरदार  पटेल  कीराष्ट्रभक्ति  का  प्रतीक  है ,  यदि  प्रथम  राष्ट्रपति  राजेन्द्र  बाबू  कासोमनाथ  मन्दिर  में  प्राण  प्रतिष्ठा  के  अवसर  पर  उपस्थित  रहनाउनकी  राष्ट्रभक्ति  का  प्रतीक  है ,  तो  श्रीराम  जन्मभूमि  मुक्ति  काआन्दोलन  भी  राष्ट्रभक्ति  का  ही  प्रतीक  है।  श्रीराम  जन्मभूमि  मुक्तिआन्दोलन  यह  किसी  मन्दिर  को  प्राप्त  करने  की  सामान्य  लड़ाई  नहींहै।  कभी  भी   बदलने  वाली  जन्मभूमि  को  प्राप्त  करने  का  यह  संघर्षहै।  जन्मभूमि  भी  एक  ऐसे  मह पुरुष  की  जिसे  कोटि - कोटि  हिन्दूभगवान  के  रूप  में  पूजता  है ,  मृत्यु  के  समय  भी  जिस  नाम  केउच्चारण  की  लालसा  रखता  है।  इससे  भी  अधिक  यह  संघर्ष  विदेशीइस्लामिक  आक्रमणकारी  के  कलंक  को  मिटाने  का  संघर्ष  है ,  यहसंघर्ष  हिन्दू  समाज  की  सांस्कृतिक  आजादी  की  लड़ाई  है।

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