संत की शक्ति से पूर्णतः परिचित भ्रष्ट सरकार को अब अपनी निरंकुशता का अंत कोटि कोटि भारतीयों के ह्रदय सम्राट युग्पुरोधा स्वामी जी के हाथो सुनिश्चित होता स्पष्ट रूप से दिख रहा है!
भारत की स्वतन्त्रता से चली आ रही विडम्बना -
भारत की आज़ादी के सबसे बड़े खलनायक विन्स्टन चर्चिल का विचार था " आम जीवन में झूठ बोला जाता है , अदालत में सफ़ेद झूठ और संसद से देश की जनता से बोले जाने के लिए आकड़ो का झूठ ..." चर्चिल के दत्तक पुत्र कांग्रेस ने उनसे ये कला खूब सीखी और आज़ादी के सठिया जाने तक उन्होंने देश की जनता को इस माध्यम से खूब ठगा!
हर बार सरकार बजट और जी डी पी के माध्यम से जनता से आकड़ो का झूठ कहती रही और बजट दर बजट देश गर्त की ओर जाता रहा !
विडम्बना ये रही की इस झूठ को समझे कौन और समझाए कौन ? समझने और समझाने का सारा खेल तो पश्चात्यवाद में था और भारतीय पश्चात्यवाद के इस खेल को समझते उससे पहले कांग्रेस के सहयोग से उनका स्वाभिमान ऐतिहासिक झूठो के माध्यम से दमित कर दिया गया और उन्हें भी पश्चात्यावादी व्यवस्था का पोषक बना दिया गया !
ऐतिहासिक झूठो के उदहारण स्वरुप = अँगरेज़ कहते है की भारतीयों को सभ्यता और सामाजिक व्यवस्था में रहना उन्होंने सिखाया , जबकी सच तो ये है की जब अमेरिका और ब्रिटेन पाषाण युग में था और पत्ते लपेट कर गुफाओं में जीवनयापन करता था, तब हमारा समाज पाटलिपुत्र जैसा नगर, तक्षशिला जैसा विश्वविद्यालय और मौर्या काल में आधुनिक अर्थव्यवस्था का गठन कर चुका था ! जी हाँ ये आधुनिक राजकर व्यवस्था और मुद्रा का चलन हमने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य काल में ही लागू कर दी थी, जिसका अनुशरण करने योग्य होने में पाश्चात्य जगत को सदियों लगे और आज भी वो उन्ही व्यवस्था का अनुशरण कर रहा है !
हम भारतीयों में कमी कहाँ है ?
अंग्रेजी शिक्षा पध्धति से भारतीय विद्यार्थियो को क्या क्षति ?
विडम्बना ये रही की इस झूठ को समझे कौन और समझाए कौन ? समझने और समझाने का सारा खेल तो पश्चात्यवाद में था और भारतीय पश्चात्यवाद के इस खेल को समझते उससे पहले कांग्रेस के सहयोग से उनका स्वाभिमान ऐतिहासिक झूठो के माध्यम से दमित कर दिया गया और उन्हें भी पश्चात्यावादी व्यवस्था का पोषक बना दिया गया !
ऐतिहासिक झूठो के उदहारण स्वरुप = अँगरेज़ कहते है की भारतीयों को सभ्यता और सामाजिक व्यवस्था में रहना उन्होंने सिखाया , जबकी सच तो ये है की जब अमेरिका और ब्रिटेन पाषाण युग में था और पत्ते लपेट कर गुफाओं में जीवनयापन करता था, तब हमारा समाज पाटलिपुत्र जैसा नगर, तक्षशिला जैसा विश्वविद्यालय और मौर्या काल में आधुनिक अर्थव्यवस्था का गठन कर चुका था ! जी हाँ ये आधुनिक राजकर व्यवस्था और मुद्रा का चलन हमने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य काल में ही लागू कर दी थी, जिसका अनुशरण करने योग्य होने में पाश्चात्य जगत को सदियों लगे और आज भी वो उन्ही व्यवस्था का अनुशरण कर रहा है !
हम भारतीयों में कमी कहाँ है ?
कांग्रेस द्वारा आज़ाद भारत में प्रायोजित शिक्षा पद्धति और उसमे निहित मिथ्यापूर्ण इतिहास ने भारतीयों के स्वाभिमान, सदाचार और स्वाविलम्बी विचारधारा पर गहरा प्रहार किया है आज हम जाने अनजाने पाश्चात्यवाद के हितो के पोषक बन गए है, हमारे बहुत से अभिभावक ऐसा सोचते है की इस पाश्चात्यावादी व्यवस्था के सिवा हमारे बच्चो का भविष्य अंधकारमय है इस कारणवष वे अंग्रेजी को एक भाषा से कही अधिक महत्वपूर्ण स्थान दे रहे है !
अंग्रेजी शिक्षा पध्धति से भारतीय विद्यार्थियो को क्या क्षति ?
सम्पूर्ण विश्व के मनोवैज्ञानिको द्वारा विभिन्य शोधो के परिणाम को यदि आधार के रूप में देखा जाए तो मूल विचारों की अभिव्यक्ति मनुष्य मातृभाषा से बेहतर किसी भाषा में नहीं कर सकता ,क्योंकी मातृभाषा हमारे विचारो के विश्लेषण का मौलिक माध्यम है जिसके द्वारा हमारे तार्किक क्षमता का सृजन होता है ! आप स्वयं देख सकते है की विश्व के सर्वोत्तम साहित्य एवं शोध उन लेखको तथा वैज्ञानिकों द्वारा सृजन उनके मूल विचारों की अभिव्यक्ति है यानी उन्ही की मातृभाषा में लिखे गए है !
अतः शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय विद्यार्थियों पर मूल भाषा के रूप में विदेशी भाषा का थोपा जाना उनकी वैचारिक एवं विश्लेषण की क्षमता का ह्रासकारी है तथा इसके चलते उनकी विलक्षण प्रतिभा को सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति से वंचित रह जाने की मजबूरी उत्पन्न हो जाती है !
हमारी अर्थव्यवस्था पर पाश्चात्यवाद के अनुसरण के प्रतिकूल प्रभाव क्यों ?
पश्चिमी अर्थव्यवस्था का हमारे हित में होना हास्यास्पद है ! पाश्चात्य जगत का इतिहास बताता है की वे हम सहिष्णु ऋषिपुत्रो के विपरीत स्वार्थी और बर्बर विचारधारा के पोषक है जिसके चलते वे अपनी व्यावसायीक छतिपूर्ती एवं लाभप्राप्ति के लिए हमारे समस्त संसाधनों का दोहन सदा से करते आये है तथा प्रतिपल हमारी संवृद्धि को हमसे छीन कर विदेशी बैंको की सहायता से तथा विभिन्न माध्यमो से अपने देशो में ले जा रहे है !सच तो ये है की उनके द्वारा बनाई गई भ्रामक वैश्विक अर्थव्यवस्था सिर्फ उनके हितो को साधने के लिए ही बनाई गई है !
यूनियन कार्बाईट भोपाल त्रासदी का ज्वलंत उदाहरण आपके समक्ष है जहा पश्चिम के दबाव में किस प्रकार से सामूहिक नरसंहार के दोषी विदेशी हत्यारों को पहले पलायन कराया गया फिर दोषमुक्त कर दिया गया!
युगपुरुष परमपूज्य स्वामी रामदेव जी ने विदेशो में जमा भारतीयों के एक एक पैसे को देश की गरीब जनता की खुशहाली के लिए देश में वापस लाने का प्राण लिया है !
सत्तापक्ष स्वामीजी से भयभीत क्यों ?
वीरभूमि की सदा से रीत रही है की जब जब संतो ने अन्याय के खिलाफ नेतृत्व का शिक्षण एवं मार्गदर्शन किया है तब तब व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन हुए है, उदाहरणार्थ रामायण कल में महर्षि जामवंत, महाभारत काल में आचार्य द्रौंण, मौर्या काल में आचार्य चाणक्य के द्वारा मार्गप्रशस्ति से ही विजयश्री की प्राप्ति संभव हो सकी !इससे शिक्षा लेते हुए स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी ने सर्वप्रथम संतत्व का व्रत धारण किया तदुपरांत उनके योगदान से जगत अछूता नहीं रहा !
शहादत के बाद निरंकुश कांग्रेस ने महात्मा गाँधी की बड़ी बड़ी मूर्तिया तो बनाई पर उनके स्वदेशीवादी विचारों को भी उन्ही में चुनवा दिया, और लोकतंत्र की आढ़ में सर्वत्र लोभ्तंत्र का बोलबाला हो गया ! इससे शर्मनाक क्या हो सकता है की जीवन भर शराब एवं नशे के विरुद्ध रहने वाले संत महात्मा गाँधी के वस्तुओ की नीलामी में कांग्रेस सरकार उदासीन रही और बोली देश के एक शराब व्यवसाई ने लगाईं !
भ्रष्टतंत्र में लिप्त लोगो को ठीक तरह से ज्ञात है की यदि बैरिस्टर से स्वदेशी जागरण का व्रत धारण करने वाले संत की शक्ति इतनी प्रचंड हो सकती है की उनके समक्ष विश्वविजई ब्रितानी सरकार नतमस्तक हो जाए तो स्वदेशी जागरण के साथ बाल ब्रम्हचारी , योगी, देश को रोग एवं नशा मुक्ति एवं देश के नवनिर्माण का संकल्परत संत कितना शक्तिशाली होगा !!!
संत की शक्ति से पूर्णतः परिचित भ्रष्ट सरकार को अब अपनी निरंकुशता का अंत कोटि कोटि भारतीयों के ह्रदय सम्राट युग्पुरोधा स्वामी जी के हाथो सुनिश्चित होता स्पष्ट रूप से दिख रहा है!
देश की इन चुनौतियों का समाधान कैसे ???
ये आज के सबसे गंभीर प्रश्न है जो हर राष्ट्रवादी के विचारों में समुचित उत्तर के प्रतीक्षारत है!
यदा यदा ही धर्मष्य ग्लानिर भवति भारतः !
अभियुत्थानम अधर्मष्य तदात्मानं सृजाम्यहम !!
जब जब अधर्म और पाप का बोलबाला हुआ है ,तब तब धर्म की रक्षा के लिए परम पिता परमेश्वर ने विभिन्न अवतारों का रूप ले कर इस पावन धरा पर जनम लिया और अधर्म का नाश कर धर्म का मार्ग प्रशस्त किया है !
देश की चुनौतियों के समाधान के लिए सबसे कारगर विकल्प युगपुरुष परम श्रध्ये स्वामी रामदेव जी के मार्गदर्शन हमें प्राप्त हुआ है ! युगपुरुष परम श्रध्ये स्वामी जी ने देशवासियों के स्वाभिमान को जगाने के लिए भारत स्वाभिमान यात्रा का कठोर व्रत धारण किया है ,जिसके अंतर्गत वे संपूर्ण देशवासियों को योग के माध्यम से स्वस्थ तनमन के साथ, नशाविहीन एवं देशसेवा से ओत प्रोत जीवन जीने की अलख जगा रहे है ! उनके द्वारा विदेशी वस्तुओ के त्यागने एवं स्वदेशी अपनाने के आदेश का असंख्य जनसाधारण ने आत्मसाध कर पूरी श्रद्धा से पालन करना शुरू कर दिया है !उनके अनवरत प्रयासों से वे दिन दूर नहीं जब हम विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बन कर पुनः विश्वगुरु के अपने आसन पर विद्यमान होंगे !
आज
आज के युग में परम पिता परमेश्वर ने भारतवर्ष की रक्षा के लिए अवतार स्वरुप स्वामी रामदेव जी के रूप में जन्म लिया है तथा भारत का उत्थान उन्ही के करकमलो द्वारा होना सुनिश्चित है!
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