एक ओर आम जनता महंगाई, भ्रष्टाचार, भुखमरी, कुपोषण, अकाल यही नहीं पानी, बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है वहीं केंद्र सरकार का आमजन की इन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।
वर्तमान में देश जिस दौर से गुजर रहा है वह समय किसी भी मुल्क के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। एक ओर आम जनता महंगाई, भ्रष्टाचार, भुखमरी, कुपोषण, अकाल यही नहीं पानी, बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है वहीं केंद्र सरकार का आमजन की इन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। केंद्र की सरकार सबकुछ छोड़ सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार और इसके इर्द-गिर्द काम कर रही है। आये दिन उजागर हो रहे एक के बाद एक घोटालों ने एक तरह से देश के भविष्य व खासकर युवा वर्ग को खासा प्रभावित किया है। तो दूसरी ओर देश की छवि पर भी बट्टा लगाया है। हर तरफ देश में घोटालों और महाघोटालों की बात हो रही है। चाहे वह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला हो, कॉमनवेल्थ घोटाला हो, आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाला हो, आईपीएल घोटाला हो, अनाज घोटाला हो या फिर कोई और। पहले से इन घोटालों से त्रस्त हो चुकी जनता को न जाने आने वाले दिनों में और कौन-कौन से नये घोटालों की कहानी सुनने को मिलेगी।
कहना न होगा कि एक तरफ जहां देश में लाखों की संख्या में किसान आज भी आत्महत्या करने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर सरकार करोड़ों मैट्रिक टन अनाज गोदामों, रेलवे प्लेटफार्मों में सड़ता देख रही है पर उसे न तो भूख से लडने में अक्षम हो चुके किसानों की चिंता है और न ही पापी पेट के लिए कटोरा लिए भीख मांग रहे भिखारियों की। यहीं नहीं देश में आज करीब 2 करोड़ से अधिक मासूम धारती पर पैर रखते ही दम तोड़ देते हैं, तो 90 फीसदी से अधिक शिशु अपने शैशवकाल में ही इस दुनिया को छोड़ चल बसते हैं। इस सबके बावजूद देश के खेबनहारों को न तो इनका दर्द दिखाई दे रहा है और न ही देश के दुनिया में आबादी के दम पर दूसरे स्थान पर पहुंच चुके हिन्दुस्तान की करीब सवा अरब जनता को पेट भरने के लिए धारती पर दिन-रात मेहनत कर अनाज उगाने वाले अन्नदाता की चिंता है।
इस सबके इतर केंद्र सरकार भ्रष्टाचार से आकंठ डूबी है। हर मंत्री किसी न किसी घोटाले में बुरी तरह फंसा हुआ है। हालांकि किसी का भंडाफोड़ हो गया तो कोई आज भी अपनी झूठी सच्चाई के दम पर सरकार में मौजूद है। कहावत है कि सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाती है। जैसा कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में ए राजा का हुआ। टेलीकॉम घोटाले में सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब केंद्र सरकार ने विपक्ष की अडिग जीपीसी की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है तो वह भला उस मूक जनता की भावना को कैसे समझ सकती है जो न तो अपनी आवाज को सरकार के समझ सही तरीके से रख नहीं सकती और न ही संसद में और न ही सड़क पर सरकार को पूरी तरह से घेर सकती है। हालांकि चुनाव के दौरान यह मूक जनता ऐसी भ्रष्ट सरकार और भ्रष्टाचारियों के सिर से सत्ता का चोला उतार फेंकने में कभी नहीं हिचकती और न ही कभी इतना मौका देती, जिनता सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ाने में या भ्रष्ट मंत्रियों को संरक्षण देने में मस्त रहती है।
कहना न होगा कि एक ओर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ और सख्त रुख अपनाने की बात कहती है तो दूसरी ओर 2जी स्पेक्ट्रम मामले में जेपीसी जांच से कतरा रही है। उधार राष्ट्रमंडल घोटालों में खेल से पूर्व बड़ी-बड़ी ठींगें हांकने वाली केंद्र सरकार का दकियानूसी चेहरा भी उस वक्त उजागर हो गया, जब कॉमनवेल्थ गेम्स तो सकुशल संपन्न हो गए, परंतु केंद्र सरकार ने कॉमनवेल्थ के दौरान कॉमनहेल्थ के रूप में काम करने वाले देश के गुनहगारों को किसी भी तरह की सजा देने में भी सक्रिया दिखाई नहीं दी। नतीजा सबके सामने हैं न तो कलमाड़ी एंड कंपनी की कोई कुछ कर पाया और न ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ सरकार कुछ कर पाई। केंद्र की मेहरबानी कहें या फिर परदे के पीछे भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के लिए मशहूर हो चुकी केंद्र सरकार की भ्रष्टाचार रोधी नीति का ही हिस्सा है कि आज भी कलमाड़ी दहाड़ रहे हैं और यह कहते नहीं थकते कि उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया है। तो उधार शीला दीक्षित भी अपने आप को पाक और साफ बता रहीं हैं।
केंद्र सरकार की सेहत पर भले भी इन महाघोटालों से कोई असर न पड़ा हो, मगर इन घोटालों से देश की जनता जरूर आहत हुई है। अपने बच्चों को हमेशा ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले आम आदमी को जब देश के माथे पर कलंक इन एक के बाद एक महाघोटालों के बारे में पता चलता है कि वह भी अपने आप को कोसते नहीं थकते। इन घोटालों से न सिर्फ आमजन पीड़ित है, बल्कि मुल्क की साख को भी बट्टा लग रहा है। उधार केंद्र सरकार को इन घोटालों और घोटालेबाजों के प्रति अनबूझ रवैये से इन भ्रष्टाचारियों की चांदी है। यहीं कारण है कि जिसकी कालगुजारियों से सारी दुनिया परिचत हो चुकी है वही राजा आज भी यह कहते नहीं थक रहे हैं कि वह निर्दोष हैं और वह अपने आप को पाक-साफ साबित कर देंगे। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य कर्णधार रहे ए राजा यह कह रहे हैं कि वह निर्दोष हैं तो फिर देश में ईमानदारी या ईमानदारों की परिभाषा बदलनी पड़ेगी।
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