कितना बड़ा होता है ब्रह्मा का एक दिन?
धरती पर हमने अपनी सुविधा के हिसाब से हर चीज तय की है। हमने काल गणना के भी अपने अपने तरीके इजात किए हैं 24घंटो में धरती पर एक रात और एक दिन का समय गुजर जाता है। नेकिन क्या आपने कभी कल्पना की है कि दुनिया को बनाने वाले ब्रह्मा का एक दिन कितना बड़ा होता है? जिन देवताओं की हम पूजा करते हैं उनका एक दिन कितना बड़ा होता है? हम आपको ऐसी ही रोचक जानकारी यहां दे रहे हैं। हमारे ग्रन्थों ने बहुत बारीकी से समय की गणना की है । विष्णु पुराण में भी इसी तरह की काल गणना का प्रमाण मिलता है। मर्हिषि पाराशर ने इसही बहुत प्रमाणिक गणना बताई है।
विष्णु पुराण के पहले अध्याय में इसका उल्लेख है कि धरती पर 30 मुहुर्त का एक दिन और एक रात होती है 30 दिन का एक महीना और छ: महीनों का एक अयन होता है। यह दो अयन उत्तरायण और दक्षिणायन देवताओं के दिन और रात होते है। उत्तरायण दिन कहा जाता है और दक्षिणायन रात कही जाती है। इस गणना के मुताबिक 48,000 साल का सतयुग 36,000 साल का त्रेतायुग 24,000 साल का द्वापर और 12,000 देव वर्ष का कलियुग माना गया है।पुराण कहता है कि चार युग मिल कर चर्तुयुग होता है और ऐसे एक हजार चर्तुयुग बीतने पर ब्रह्मा का एक दिन पूरा होता है।ब्रह्मा के एक दिन के भीतर ही हम एक हजार बार जन्म ले चुके होते हैं। और इतनी ही बार सृष्टि की रचना और विध्वंश भी हो जाता है।
विष्णु पुराण के पहले अध्याय में इसका उल्लेख है कि धरती पर 30 मुहुर्त का एक दिन और एक रात होती है 30 दिन का एक महीना और छ: महीनों का एक अयन होता है। यह दो अयन उत्तरायण और दक्षिणायन देवताओं के दिन और रात होते है। उत्तरायण दिन कहा जाता है और दक्षिणायन रात कही जाती है। इस गणना के मुताबिक 48,000 साल का सतयुग 36,000 साल का त्रेतायुग 24,000 साल का द्वापर और 12,000 देव वर्ष का कलियुग माना गया है।पुराण कहता है कि चार युग मिल कर चर्तुयुग होता है और ऐसे एक हजार चर्तुयुग बीतने पर ब्रह्मा का एक दिन पूरा होता है।ब्रह्मा के एक दिन के भीतर ही हम एक हजार बार जन्म ले चुके होते हैं। और इतनी ही बार सृष्टि की रचना और विध्वंश भी हो जाता है।
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